*अमूल्य रतन* 29‌4
अव्यक्त मुरली दिनांक: *30 July 1970*

*अगर कमज़ोरी के संकल्प या बीती संकल्प उत्पन्न होते हैं तो*

अगर भूल से पुराने संस्कारों को विष इमर्ज हो भी जाए तो उसको ऐसा समझो कि यह बहुत पिछले जन्म के संस्कार हैं। इन बातों का वर्णन करने को ही कहा जाता है व्यर्थ।

*सहयोगी*

सर्व के सहयोगी तब बनेंगे जब सर्व के स्नेही बनेंगे।
मन्सा, वाचा, कर्मणा और संबंध में भी सहयोगी बनना है और सफलता मूर्त बनना है।

*सर्व का सहयोगी बनने के लिए अपने आप को भी मिटाना पड़ता है।*
अपने आप को मिटाना अर्थात् अपने *पुराने संस्कारों को मिटाना।*
अपने संस्कार मिटायेंगे तो दूसरे आपको स्वयं ही फॉलो करेंगे।

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