*अमूल्य रतन* 29‌5
अव्यक्त मुरली दिनांक: *30 July 1970*

*गोवर्धन पर्वत का यादगार*

पहाड़ को अंगुली देना अर्थात् पुराने संस्कारों को मिटाने में अंगुली देना। तब कलियुगी दुनिया बदल फिर नई दुनिया बनेगी।

*चाहे कोई भी स्लोगन स्मृति में रखो, अच्छा है। लेकिन स्लोगन का स्वरूप बनना ही है यह याद रहे।*

*एकमत*

मणकों की विशेषता यही है, जो एकमत होते हैं वह एक ही धागे में पिरोए जाते हैं।
एक ही मत पर चलने वाले हो और आपस में भी एक मत हो।

*एकमत के लिए वातावरण*

समाने की शक्ति चाहिए। अगर कोई बात में भिन्नता है तो उस भिन्नता को समाओ क्योंकि यथा योग्य, यथा शक्ति होता है।
*कोई भी हो उसकी विशेषताओं को देखो तो विशेष आत्मा बन जाएंगे। क्योंकि सब में अपनी अपनी विशेषता होती है।*

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