*अमूल्य रतन* 297 अव्यक्त मुरली दिनांक: *06 August 1970*
*एक बंधन जो रह गया है*
देह के संबंध और देह के पदार्थों से लगाव मिटाना सरल है, लेकिन देह के भान से मुक्त होना मेहनत की बात है।
*देह के भान से मुक्त होने के लिए युक्ति*
सदैव यही समझो कि जैसे बाप देह का आधार लेकर बोल रहे हैं वैसे ही हम भी देह का आधार लेकर कर्म कर रहे हैं। *इस न्यारेपन की अवस्था के प्रमाण ही प्यारा बनना है।*
*न्यारा और प्यारा*
सर्व के स्नेही बनने के लिए पहले न्यारा बनना है। सर्विस करते हुए, संकल्प करते हुए भी अपने को और दूसरों को भी महसूसता आनी चाहिए कि यह न्यारा और अति प्यारा है।
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