*अमूल्य रतन* 304 अव्यक्त मुरली दिनांक: *22nd October 1970**रहे हुए पुरुषार्थ को पूरा करने के लिए* जितना स्वयं आवाज से परे होकर *संपूर्णता का आह्वान अपने में* करेंगे उतना आत्माओं का आह्वान कर सकेंगे। *आह्वान के बाद आहुति* बन जाए। *नॉलेज के तरफ आकर्षित होते हैं लेकिन नॉलेजफुल के ऊपर आकर्षित करना है।* अभी तकRead more