*अमूल्य रतन* 05

अव्यक्त मुरली दिनांक: 2 फरवरी 1969

 

*सर्विस के लक्ष्य को पूर्ण करने में मुख्य विघ्न*

ध्यान रखना कि मैंने यह किया, मैं ही यह कर सकता हूंँ ….. यह मैं पन आना इसको ही *ज्ञान का अभिमान, बुद्धि का अभिमान, सर्विस का अभिमान* कहा जाता है।

*मुख्य शिक्षा*

1. इसके लिए सदा एक शब्द याद रखना कि *मैं निमित्त हू्ँ।* निमित्त बनने से ही निराकारी, निरंहकारी, नम्रचित् व निसंकल्प अवस्था में रह सकते हैं।

2. *निरंहकारी और निर्माणचित्त* होकर एक दो में प्रेम और प्यार से चलना है।

3. व्यर्थ के चक्करों से बचने के लिए *स्वदर्शनचक्र* को याद रखो।