*अमूल्य रतन* 10
अव्यक्त मुरली दिनांक 4 मार्च 1969
*साकार रूप के लास्ट दिनों में सर्विस की मुख्य युक्ति – डबल घेराव*
एक तो वाणी द्वारा सर्विस दूसरा अपने अव्यक्ति आकर्षण से दूसरों को घायल करना यह है घेराव डालना।
*सर्विस के बंधन में बांधना*
01. अपने को खुद ईश्वरीय सेवा में लगाना चाहिए औरों के कहने से नहीं क्योंकि जिसने कहा अथवा प्रेरणा दी उनकी भागीदारी भी हो जाती है।
02. सर्विस के बंधन से ही अनेक बंधन मिट जाते हैं।