*अमूल्य रतन* 12
अव्यक्त मुरली दिनांक: 13 मार्च 1969

शीर्षक: *प्रेम और शक्ति के गुणों की समानता*

*याद की यात्रा में भी मुख्य किस गुण में स्थित होना चाहिए?*

वर्तमान समय परिस्थितियों के प्रमाण जितना ही प्रेम स्वरूप उतना ही शक्ति स्वरूप भी होना चाहिए। दोनों ही साथ और सामान रहें। *यह शक्तिपन की अंतिम संपूर्णता की निशानी है।*

*याद की यात्रा का अनुभव*

01. याद की यात्रा का अनुभव करने से अव्यक्ति स्थिति का प्रभाव नयनों से, चलन से प्रत्यक्ष देखने में आएगा।
02. जैसे अमृतवेले का टाइम सतोगुणी होता है वैसे शाम का टाइम भी सतोगुणी है; उस समय संगठन में योग करो; बीच-बीच में अव्यक्ति रूप से बोलते रहो इससे अगर बुद्धि योग यहाँ वहाँ होगा तो अटेंशन खिंचेगा।