*अमूल्य रतन* 40
अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 मई 1969
शीर्षक: *रूहानी ज्ञान योग के ज्योतिषी*
*किस समय स्नेहमूर्त और किस समय शक्ति रूप बनाना है*
*स्नेह बापदादा और दैवी परिवार से करना है।*
अगर कोई ऐसा आया और उनको स्नेह दिखाया तो *वह स्नेह वृद्धि होकर कमज़ोर बना देता है* इसलिए शक्ति रूप की आवश्यकता है।
अंतिम नारा/गायन भी भारत माता शक्ति अवतार का है। गोपी माता थोड़े ही कहते हैं। *गोपीकाओं का रूप साकार में था। अब अव्यक्त रूप से शक्ति रूप का पार्ट है।*
साकार के साथ स्नेह है तो जल्दी जल्दी इस पुरानी दुनिया से चलने की तैयारी करो।
अगर आप हर एक शक्ति रूप में स्थित हो जाओ तो आपके जो भूले भटके भक्त हैं, ना चाहते भी चुंबक की तरह आ जाएंगे देरी नहीं लगेगी।