*अमूल्य रतन* 62
अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969
शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य*
*पाण्डवों का मुख्य कार्य*
जो कई प्रकार के लोग और कई प्रकार की परीक्षाएं समय प्रति समय आने वाली है और आती भी रहती हैं तो परीक्षा और लोगों की परख यह विशेष पाण्डवों का काम है।
*पाण्डवों को शक्तियों की रखवाली करने का मुख्य कार्य है।*
*शक्तियों का कार्य है तीर लगाना।*
*ध्यान रहे*
अगर अपनी ही रखवाली नहीं करेंगे तो फिर औरों की मुश्किल हो जाएगी।
पाण्डवों को अपनी रखवाली के साथ चारों ओर की रखवाली करनी है।
*बेहद में दृष्टि होनी चाहिए न की हद में।*