*अमूल्य रतन* 70
अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 जून 1969
शीर्षक: *शिक्षा देने का स्वरूप – अपने स्वरूप से शिक्षा देना।*
*टीचर रूप का पार्ट*
रिवाइस कोर्स टीचर करा रहे हैं या अपने आप कर रहे हो?
रिवाइज कोर्स के लिए टीचर हर वक्त साथ नहीं रहता है। अभी टीचर दूर से ही देखरेख कर रहे हैं। कहांँ भी कोई *मुश्किलात हो तो पूछ सकते हो।* लेकिन *जैसे पढ़ाई के समय साथ रहते थे वैसे अब साथ नहीं।*
*वतन में होते भी टीचर का कनेक्शन* होने के कारण देखते हैं कोई बहुत अलौकिकपन से पढ़ाई को रिवाइज कर रहे हैं, कोई समय गंँवा रहे हैं, कोई समय सफल कर रहे हैं।
*साकार बाबा का बच्चों प्रति स्नेह*
बच्चों को समय गंँवाते देख बाबा को बच्चों पर तरस के साथ साथ जो संबंध है वह संबंध खींचता है तो *दिल होती है कि अभी अभी शिवबाबा से छुट्टी लेकर साकार रूप में आकर उन्हों का ध्यान खिंचवायें* लेकिन _साकार रूप का पार्ट तो पूरा हुआ इसलिए दूर से ही सकाश देते हैं।_