*अमूल्य रतन* 92
अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969
शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति*

*बालकपन अर्थात्*

वहीं पर दृढ़ता में बोलना फिर वहीं पर *बिल्कुल ही निरसंकल्प* बन जाना।

*जहांँ बालकपन होना चाहिए वहांँ मालिकपन होने की रिजल्ट*

01. समय और शक्ति वेस्ट।
02. जहांँ एक दो में स्नेह बढ़ना चाहिए वहांँ कम होता है।

*निर्माण अर्थात्*

आगे चलकर जो समस्या आने वाली है उस समय जो निमित्त बने हुए हैं उनको बहुत निर्माणचित् बनना पड़ेगा। *निर्माण अर्थात् अपने मान का भी त्याग।*
जितना त्याग करेंगे उतना ही आपको स्वमान मिलेगा। *जितना स्वमान रखवाने की कोशिश करेंगे उतना ही स्वमान गंवाने का कारण बन जाएंगे।*
इसलिए इस सीढ़ी को जल्दी-जल्दी उतरो और चढ़ो इस अभ्यास को बढ़ाओ।