*अमूल्य रतन* 126
अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 अक्टूबर 1969
*समय की चेतावनी*
फाइनल पेपर अनेक प्रकार के भयानक और न चाहते हुए भी अपनी तरफ आकर्षित करने वाली परिस्थितियों के बीच होंगे। उनकी भेंट में *जो आजकल की परिस्थितियां हैं वह कुछ नहीं है।* जो अंतिम परिस्थितियां आने वाली है *उन परिस्थितियों के बीच पेपर होना है।*
*अंतिम समय की तैयारी कैसे करें*
जब अपने को देखते हो कि बहुत बिजी हूंँ, बुद्धि स्थूल कार्य में बहुत बिजी है, *चारों ओर सरकमस्टेंसस अपनी तरफ खींचने वाली है तो ऐसे समय पर यह ड्रिल करो।* तब मालूम पड़ेगा कहां तक हम ड्रिल कर सकते हैं।
*स्नेह में सुध-बुध भूल जाना अर्थात्*
सुध बुध खोना अर्थात् *अपने स्वरूप की जो स्मृति रहती है वह भी भूल जाना।* बुद्धि की लगन भी उसके सिवाय कहीं नहीं हो। ऐसे जो रहने वाले होते हैं उनको ही स्नेही कहा जाता है।
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