*अमूल्य रतन* 152
अव्यक्त मुरली दिनांक: 06 दिसम्बर 1969
*योग की रिद्धि सिद्धि*
जो सिद्धि को प्राप्त करते हैं उनके संकल्प, शब्द और हर कर्म सिद्ध होता है। एक संकल्प भी व्यर्थ नहीं उठेगा। *संकल्प भी वही उठेंगे जो सिद्ध होंगे।*
*आपके एक एक संकल्प की वैल्यू है।* जब अपनी वैल्यू को खुद रखेंगे तब अनेक आत्माएं भी आपकी वैल्यू को परखेगी।
*चैतन्य म्यूज़ियम के तीन मुख्य चित्र*
भृकुटी, नयन और मुख। इन द्वारा ही आपकी स्मृति, वृत्ति, दृष्टि और वाणी का मालूम पड़ता है।
जो कुछ सुना है उन *संस्कारों को प्रत्यक्ष करने के लिए* एक एक बात की गहराई में जाओ और अपने *एक एक रग में वह संस्कार समाओ।*
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