*अमूल्य रतन* 196
अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 जनवरी 1970*
*परिस्थितियां भी अब दिखला रही है कि पुरुषार्थ कैसा करना है।* जब परीक्षाएं शुरू हो गई तो फिर पुरुषार्थ नहीं कर सकेंगे। पेपर के पहले पहुंच गए हो यह भी अपना सौभाग्य समझना जो ठीक समय पर पहुंच गए हो। फिर गेट बंद हो जाएगा।
*_शुरू में जो आए उन्हों को वैराग्य दिलाया जाता था। आजकल की परिस्थितियां ही वैराग्य दिलाती है।_*
*सोचो बाप क्या है और हम क्या है?*
बाप सर्वशक्तिमान और बच्चों को संकल्पों को रोकने की भी शक्ति नहीं?!
बाप सृष्टि को बदलते हैं और बच्चे अपने को भी नहीं बदल सकते?!
*एकरस अवस्था बनाने के लिए*
सिवाय एक के और कुछ भी देखते हुए ना देखो।
*सेवाकेंद्र तो निमित्त है, मुख्य केंद्र से ही सभी का कनेक्शन है।* एक से संबंध रहता है तो अवस्था भी एकरस रहती है।
*एक की ही याद में सर्व प्राप्ति हो सकती है।*
_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*