*अमूल्य रतन* 192
अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970*

ऊंच ते ऊंच बाप के हम ही हकदार हैं। यह याद रहने से सदैव एकरस अवस्था रहेगी।

*फ़रिश्तेपन का अनुभव*

ज्यादा समय अपने को फरिश्ते समझो।
01. फरिश्तों की दुनिया में रहने से बहुत ही *हल्कापन* अनुभव होगा। जैसे कि सूक्ष्मवतन को ही स्थूलवतन में बसा दिया है।
02. *स्थूल और सूक्ष्म में अंतर नहीं* रहेगा।
03. तब संपूर्ण स्थिति में भी अंतर नहीं रहेगा।
04. यह व्यक्त देश जैसे अव्यक्त देश बन जाएगा। 05. *संपूर्णता के समीप* आ जायेंगे।
06. जितना जितना फरिश्ते लाइफ के नजदीक होंगे उतना उतना *राज्यपद को भी सामने देखेंगे।*
07. भविष्य के संस्कार इमर्ज होते जाएंगे।

*जब अव्यक्त स्थिति की स्टेज संपूर्ण होगी तब ही अपने राज्य में साथ चलना होगा।* एक आंँख में अव्यक्त संपूर्ण स्थिति दूसरी आंँख में राज्यपद।

_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*