*अमूल्य रतन* 209
अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970*

*एग्जाम और एग्जांपल*

जो यथार्थ पुरुषार्थी है उनके पुरुषार्थ में इतनी पावर रहती है जो औरों के आगे एग्जांपल बनते हैं।
*आपको देख औरों को प्रेरणा मिले।* तभी एग्जाम में पास हो सकते हैं।

*बंधन तोड़ने के लिए*

शक्ति बिगर बंधन नहीं टूटेंगे। याद की शक्ति है – एक बाप दूसरा ना कोई।
*जो हड्डी सेवा करने वाले होते हैं उनको बाप भी मदद करता है।* जो स्नेही है उनसे बाप भी स्नेह रखता है।

*चेहरा ऐसा बने*

01. कोई परेशानी की रेखा ना हो। सदैव हर्षित।
02. ऐसा दर्पण जो अनेक आत्माओं का अपना मुखड़ा दिखलाएं।

*दूसरों को सुख देने से खुद भी सुख स्वरूप बनेंगे।*