*अमूल्य रतन* 210
अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 फरवरी 1970*
शीर्षक: *आत्मिक पावर की परख*

*ईश्वरीय शक्ति का प्रोजेक्टर*

यह *दिव्य नेत्र* (ईश्वरीय शक्ति का प्रोजेक्टर) जितना जितना क्लियर अर्थात् रूहानियत से संपूर्ण होंगे उतना ही तुम बच्चों के नयनों द्वारा कई चित्र देख सकते हैं।

इन नयनों द्वारा *बापदादा और पूरी रचना के स्थूल, सूक्ष्म और मूल तीनों लोकों के चित्र दिखाई दे सकते हैं।*

*हमारी आत्मा कितनी पावरफुल है इसकी परख किस आधार से कर सकते हैं?*

जैसे लाइट का विशेष गुण है अस्पष्ट को स्पष्ट करना। अपनी लाइट की परसेंटेज परखने का तरीका है –
01. अपने *पुरुषार्थ का मार्ग स्पष्ट* होगा अर्थात् लाइन क्लियर देखने में आएगी।
02. *भविष्य स्टेटस* भी देखने में आएगा।
03. जिन्हों की सर्विस करते हो, उन्हों को भी इतना ही सहज और स्पष्ट मार्ग दिखा सकेंगे।
04. वह भी सहज ही अपने पुरुषार्थ में चल पड़ेगा।
05. अपनी *मंजिल सहज देखने में आएगी।*