*अमूल्य रतन* 217
अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 मार्च 1970*

*प्रतिज्ञा ही प्रत्यक्षता को लाएगी*

प्रतिज्ञा की तीन लकीर दिखाते हैं। बेलपत्र भी जो चढ़ाते हैं वह भी तीन पत्तों का होता है।
*तो तीन प्रतिज्ञाएं करो -*
01. सहनशीलता का बल अपने में धारण करेंगे। 02. क्यों कि क्यू खत्म करेंगे।
03. आसुरी संस्कारों पर पहरा देना।

*तीन प्रतिज्ञा का यह बेलपत्र चढ़ाओ।*

यह शिवरात्रि का यादगार फिर बाद में यह रस्म माफिक चलता है।
*पहले आरंभ बच्चे ही करते हैं ज्ञान सहित। फिर वह लोग कॉपी करते हैं अंधश्रद्धा से।*

*चेकिंग से चेंज*

संकल्प, कर्म, समय, संस्कार इन चारों के ऊपर जितना चेकिंग करेंगे उतनी चेंज आती जाएगी।

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