*अमूल्य रतन* 221 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970* *तख्त नशीन बनने के लिए* जो सदैव नशे में है और निशाना बिल्कुल एक्यूरेट रहता है। नशा और निशाना, योग और ज्ञान। ऐसे बच्चे ही तख्त के अधिकारी बनते हैं। *वाणी मूर्त और साक्षात्कार मूर्त* अभी वाणी से औरों को साक्षात्कार होता है लेकिन फिर होगा साइलेंस से साक्षात्कार। *सभी परमात्मा के रूप है इस गायन का यथार्थ अर्थ* यह जो गायन है कि सभी परमात्मा के रूप हैं, यह गायन संगम पर ही प्रैक्टिकल रूप में होता है। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |