*अमूल्य रतन* 225
अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970*
शीर्षक: *महारथीपन के गुण और कर्तव्य*

*महारथियों की निशानी*

01. जो महारथी कहलाए जाते हैं *उनकी प्रैक्टिस और प्रैक्टिकल साथ साथ होगा।*
घोडेसवार प्रैक्टिस करने के बाद प्रैक्टिकल में आएंगे।
प्यादे प्लेन्स ही सोचते रहेंगे।
02. महारथियों के मुख से ‘कब’ शब्द नहीं निकलेगा। ‘अब’ निकलेगा।
03. *फ़ेथफुल – फ़ेथफुल का अर्थ ही है निश्चय बुद्धि।* सिर्फ ज्ञान और बाप का परिचय, इतने तक ही नहीं उनका संकल्प भी निश्चय बुद्धि, वाणी में भी निश्चय, कोई भी बोल हिम्मतहीन का नहीं।

*महारथी का अर्थ ही है महान।*

*इस समय पढ़ाई कहां तक पहुंची है?*

अब तो अंतिम स्टेज है। *अभी तो जो संकल्प हो वह कर्म हो।* _संकल्प करना, प्लेन्स बनाना, फिर उस पर चलना अब वह दिन नहीं है।_ वह बचपन की बातें हैं।

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*