*अमूल्य रतन* 229 (
अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970*

*याद नहीं ठहरने के कारण*

संकल्प, वाणी, कर्म, संबंध व सर्विस में अगर कोई भी हद रह जाती है तो वह बाउंड्रीज़ बॉन्डेज में बांध देती है।

*बेहद की स्थिति में होने से ही बेहद के रूप में स्थित हो सकेंगे।*

*महारथियों का कर्तव्य*

संपूर्ण अवस्था वर्तमान समय से ही हो।
साक्षात् बापदादा के स्वरूपों का संगठन हो।

स्काॅलरशिप (Scholarship) लेने वाले का अब प्रत्यक्ष साक्षात्कार होता जाएगा। *ऐसे नहीं कि बापदादा गुप्त रहे तो हम बच्चों को भी गुप्त रहना है। नहीं।*बच्चों को स्टेज पर प्रत्यक्ष होना है। प्रत्यक्षता बच्चों की होनी है। *बापदादा का गुप्त पार्ट है बच्चों का नहीं।*

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*