*अमूल्य रतन* 239 *बापदादा का स्नेह कैसे प्राप्त होता है?* जितना जितना *बाप के कर्तव्य में सहयोगी बनते हैं उतना उतना स्नेह।* जिस दिन कर्तव्य के अधिक सहयोगी होते हैं उस दिन स्नेह का विशेष अधिक अनुभव होता है। *स्वमान कैसे प्राप्त होता है?* जितना *निर्माण* उतना *स्वमान*। जितना जितना *बापदादा के समान उतना ही स्वमान।* *बापदादा का अपने से साक्षात्कार कराने के लिए* अपने को दर्पण बनना पड़ेगा। दर्पण तब बनेंगे जब संपूर्ण अर्पण होंगे। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |