*अमूल्य रतन* 260
अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 June 1970*
शिर्षक: *विश्वपति बनने की सामग्री*

ताज, तख्त और तिलक।

*इनको धारण करने के लिए*

_*तिलक* को धारण करने के लिए *तपस्या*।_
_*ताज* को धारण करने के लिए *त्याग*।_
_*तख्त* पर विराजमान होने के लिए जितनी *सेवा*

_ करेंगे उतना अब भी तख्त नशीन और भविष्य में भी तख्त नशीन बनेंगे।

अगर एक भी धारणा कम है तो विश्वपति नहीं बन सकेंगे।

*किस बात का/में त्याग?*

_मैं पन का त्याग।_
मैं के बजाए बापदादा की सुनाई हुई ज्ञान कि बातों। को वर्णन करो।
*ज्ञान में चलने के बाद जो स्व अभिमान आ जाता है, उसका भी त्याग।*

जब इतनी त्याग वृत्ति और दृष्टि होगी तब सदैव स्मृति में बाप-दादा रहेगा।

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*