*अमूल्य रतन* 258
अव्यक्त मुरली दिनांक: *07 June 1970*

*समीप रत्न के लक्षण*

बापदादा के संस्कारों में समानता।

आदि स्वरूप को स्मृति में रखो। *सतयुग आदि का और मरजीवा जीवन के आदि रूप को स्मृति में रखने से मध्य समा जायेगा।*

*स्नेह का रिटर्न सहयोग*

जैसे बाप सर्व समर्थ है तो बच्चों को भी मास्टर सर्व समर्थ बनना है।

*’स्नेह और सहयोग’ साथ साथ*

अंतिम समय से पहले अगर स्नेही के साथ सहयोगी बनेंगे तो वर्से के अधिकारी बनेंगे। _अंत में भल सभी आत्माएं पहचान लेगी लेकिन वर्सा नहीं पा सकेंगे क्योंकि सहयोगी नहीं बन सकेंगे।_

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*