*अमूल्य रतन* 258 *समीप रत्न के लक्षण* बापदादा के संस्कारों में समानता। आदि स्वरूप को स्मृति में रखो। *सतयुग आदि का और मरजीवा जीवन के आदि रूप को स्मृति में रखने से मध्य समा जायेगा।* *स्नेह का रिटर्न सहयोग* जैसे बाप सर्व समर्थ है तो बच्चों को भी मास्टर सर्व समर्थ बनना है। *’स्नेह और सहयोग’ साथ साथ* अंतिम समय से पहले अगर स्नेही के साथ सहयोगी बनेंगे तो वर्से के अधिकारी बनेंगे। _अंत में भल सभी आत्माएं पहचान लेगी लेकिन वर्सा नहीं पा सकेंगे क्योंकि सहयोगी नहीं बन सकेंगे।_ _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |