*अमूल्य रतन* 251
अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 May 1970*
शीर्षक: *समीप रत्नों की निशानियां*

*समीप रत्न के समीप आने की निशानी*

01. ऐसे अनुभव करेंगे कि यह शरीर जैसे अलग है। हम इसको धारण कर चला रहे हैं।
02. अपना आकारी रूप और भविष्य रूप सामने देखते रहेंगे।
एक आंख में संपूर्ण स्वरूप और दूसरी आंख में भविष्य स्वरूप। ऐसा प्रत्यक्ष देखने में आएगा।
03. यह पुरुषार्थी शरीर एकदम मर्ज हो जाएगा।
04. इस अवस्था में विल पावर भी आती है।

*माइट अर्थात्*

शरीर का भान छोड़ना और संकल्प भी बिल्कुल विल करना। यह है माइट।

*फर्स्ट नंबर लेने के लिए विशेष फास्ट*

*एक बाप दूसरा ना कोई, हर बात में एक की ही स्मृति आए।* जब यह फास्ट रखेंगे तो फर्स्ट आ जाएंगे। *दूसरा फास्ट* जल्दी चलने को भी कहा जाता है अर्थात् *तीव्र पुरुषार्थ।*

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