*अमूल्य रतन* 284
अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 July 1970*
शीर्षक: *बिंदू रुप की स्थिति सहज कैसे बने?*

अंतिम पुरुषार्थ याद का ही है। इसलिए याद की स्टेज व अनुभव को भी *बुद्धि में स्पष्ट समझना आवश्यक है।* *बिंदु रूप की स्थिति क्या है और अव्यक्त स्थिति क्या है,* दोनों का अनुभव क्या है?

*यह प्रैक्टिस करो*

बीच-बीच में एक-दो मिनट भी निकाल कर  संकल्पों के ट्रैफिक को स्टॉप करना चाहिए।
मन के संकल्पों को, _चाहे शरीर द्वारा चलते हुए कर्म को बीच में रोककर भी है प्रैक्टिस करना चाहिए।_

*महारथियों की प्रैक्टिस ऐसी होनी चाहिए*

अभी अव्यक्त स्थिति सहज लगती है। पहले जब अभ्यास शुरू किया था तो अव्यक्त स्थिति में रहना भी मुश्किल था। इसी तरह यह बिंदु रूप की स्थिति भी सहज होनी चाहिए।

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*