*अमूल्य रतन* 100
अव्यक्त मुरली दिनांक: 24 जुलाई 1969
शीर्षक: *बिंदु रूप की प्रैक्टिस*

*बिंदु होकर बैठना जड़ अवस्था नहीं है क्योंकि*

जैसे बीज में सारा पेड़ समाया हुआ है वैसे ही आत्मा में बाप की याद समाई हुई होगी।

बिंदु रूप अवस्था में स्थित होकर बैठने से *सब रसनाएं आएगी।*

बिंदु रूप अवस्था से यह *नशा* होगा कि _हम किसके सामने बैठे हैं! बाप हमको भी अपने साथ ले जा रहे हैं!_

_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*