*अमूल्य रतन* 103
अव्यक्त मुरली दिनांक: 15 सितंबर 1969
शीर्षक: *याद के आधार पर यादगार*

*यह ड्रिल सीखो*

अभी अभी निराकारी, अभी अभी साकारी।

*साकार रूप में हर एक को आपसे निराकार रूप का साक्षात्कार कराने के लिए*

_आवाज से परे निराकार रूप में स्थित हो फिर साकार में आने से_ औरों को भी उस अवस्था में ला सकते हैं।

वर्तमान समय अनुसार युक्तियुक्त सर्विस करने का रूप – *जगतमाता।* क्योंकि इस स्वरूप में रहे बिना पालना नहीं कर सकते।

*अपने आप का साक्षात्कार किया है?*

अपने *नंबर का* (पुरुषार्थ की स्टेज) साक्षात्कार किया है?
आपके *किसी भी रूप का* साक्षात्कार किया है?
अपने *असली रूप* का साक्षात्कार किया है?