*अमूल्य रतन* 105
अव्यक्त मुरली दिनांक: 15 सितंबर 1969
शीर्षक: *याद के आधार पर यादगार*
*सर्वगुण संपन्न बनने के लिए*
हर एक के *विशेष गुण* पर हर एक का *ध्यान जाना चाहिए।* एक एक का जो विशेष गुण है वह हर एक अपने में धारण करो।
जैसे आत्मा रूप को देखते हो।
और जब कर्म में आते वक्त हर एक की विशेष गुण की तरफ देखो।
*संदर्भ – सभी को चंद्रमा का टीका लगाया गया था*
चंद्रमा के जो गुण है वह अपने में धारण तो करने ही है परंतु याद रहे चंद्रमा का सूर्य के साथ संबंध भी गहरा होता है।