*अमूल्य रतन* 123
अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 अक्टूबर 1969
*परखने की शक्ति को तीव्र बनाने के लिए साधन*
आत्मिक स्थिति के साथ-साथ यथार्थ रूप से वही परख सकता है जिनकी बुद्धि में ज्यादा व्यर्थ संकल्प नहीं चलते होंगे।
बुद्धि का – एक के ही याद में, एक के ही कार्य में और एकरस स्थिति में रहना।
*अव्यक्त स्थिति होने में विघ्न*
व्यर्थ संकल्प और विकल्पों जो चलते हैं वह विघ्न बनते हैं।
व्यर्थ संकल्प और विकल्प बुद्धि को थकावट में लाते हैं और थकी हुई आत्मा न परख सकेगी न निर्णय कर सकेगी।
_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*