*अमूल्य रतन* 13 (07-10-2018)
अव्यक्त मुरली दिनांक: 13 मार्च 1969

*खास ध्यान*

01. एक दो के संस्कारों को जानकर, एक दो के स्नेह में एक दो से बिल्कुल मिल जुल कर रहना है।

02. हर एक का फर्ज है अपना गुण और औरों में भरना। जैसे ज्ञानदान होता है वैसे गुणों का भी दान करना चाहिए। ज्ञान रत्नों का दान करते हो इसलिए महारथी कहलाते हो।

03. एक दो से गुण उठाना चाहिए।

04. पवित्रता, पवित्रता को खींचती है।