*अमूल्य रतन* 137
अव्यक्त मुरली दिनांक: 13 नवंबर 1969
शीर्षक: *बापदादा की उम्मीदें*

*सारे विश्व के श्रेष्ठ आत्माओं को ही सर्वशक्तिमान के मिलन का सौभाग्य प्राप्त होता है।*

*बापदादा की बच्चों से उम्मीदें*

एक एक अनेकों को परिचय देकर लायक बनाए।

क्वांटिटी बनाना सहज है लेकिन क्वालिटी वाले बनाना यह उम्मीद बापदादा सितारों से रखते हैं।

*क्वालिटी कैसे लाएं?*

जितनी जितनी जिसमें *डिवाइन क्वालिटी* होगी उतना ही क्वालिटी वालों को लाएंगे।

*कई बच्चों को अपने पुरुषार्थ में भी और सर्विस में भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है तो _कई बच्चों को कम_ करनी पड़ती है। इसका कारण क्या है?*

महीन बुद्धि को कभी मेहनत नहीं लगती। श्रीमत पर चलने के लिए महीन बुद्धि चाहिए। *जो सुना है वह करना है अर्थात् उसकी महीनता में जाना है।*
महीनता में जाने के बजाय उस बात को मोटे रूप में देखते हैं।
सर्विस के समय भी महीन बुद्धि हो, *ज्ञान की महीनता में जाकर उसको सुनाए और उस ज्ञान की महीनता में ले जाए* तो उनको भी मेहनत कम लगे और अपने को भी कम लगे।