*अमूल्य रतन* 138
अव्यक्त मुरली दिनांक: 13 नवंबर 1969
शीर्षक: *बापदादा की उम्मीदें*

*वैल्युएबल बनने के लिए*

जितना हर बात में अंदर जाएंगे तब रत्न देखने में आएंगे और हर एक बात की वैल्यू का पता पड़ेगा।

जितना *ज्ञान की वैल्यू, सर्विस की वैल्यू का मालूम होगा उतना आप वैल्युएबल रत्न बनेंगे।*

*वैल्युएबल रत्न बनने से*

01. बापदादा वैल्युएबल रत्नों को *माया से छिपाते हैं।*
02. जो जितना अमूल्य रत्न होंगे उतना बापदादा के *दिल तख्त पर निवास* करेंगे।

*संगमयुग का तख्त*

बापदादा के दिल तख्त। *यह सारे जहान के तख्तों से श्रेष्ठ हैं।* _सतयुग में कितना भी बड़ा तख्त मिले लेकिन इस तख्त के आगे वह कुछ नहीं है।_

*संगम युग के तख्त पर रहने से*

01. इस तख्त पर रहने से माया कुछ नहीं कर सकती। *माया के सभी बंधनों से मुक्त रहेंगे।*
02. इस तख्त पर उतरना चढ़ना नहीं पड़ेगा।