*अमूल्य रतन* 143
अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969
*शीर्षक: लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने की युक्तियां*
*लौकिकता में अलौकिकता*
संबंध – अलौकिक संबंधी भी ब्रह्मा वंशी है लेकिन वह नजदीक संबंध के हैं, वह दूर के हैं।
कोई भी कार्य करते हो तो समझो इन शारीरिक पांव द्वारा लौकिक कार्य की तरफ जा रहा हूंँ लेकिन बुद्धि द्वारा अपने अलौकिक देश, कल्याण के लिए जा रहा हूंँ।
*लोगों को मालूम पड़े यह कोई विशेष अलौकिक आत्मा है इसके लिए*
अपने को आत्मिक रूप में न्यारा समझना है कर्तव्य से न्यारा होना तो सहज है, उससे दुनिया को प्यारे नहीं लगेंगे, *दुनिया को प्यारे तब लगेंगे जब शरीर से न्यारी आत्मा रूप में कार्य करेंगे।*
*इससे मन के प्रिय, प्रभु प्रिय और लोकप्रिय भी बनेंगे।*
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