*अमूल्य रतन* 156
अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 दिसम्बर 1969
*एक बात रह गई है उस एक बात के ऊपर ही नंबर है*
कोई भी डायरेक्शन, कभी भी किसी रूप से, कहांँ के लिए भी निकले और कितने समय में भी निकले, *एक सेकंड में तैयार होने का डायरेक्शन भी निकल सकता है।* तो ऐसे एवररेडी बने हो।
*एवररेडी बनने के लिए*
जैसे अशुद्ध प्रवृत्ति को छोड़ने के लिए कुछ भी नहीं देखा। सिर्फ स्नेह में थे। स्नेह से यह सभी किया। ज्ञान से नहीं। स्नेह ने ऐसा बनाया।
*अब स्नेह के साथ शक्ति भी है।*
*कोई भी आत्मा के बंधन में आना यह निर्बंधन की निशानी नहीं है।* ऐसे पेपर में जो पास होंगे वही पास विद ऑनर्स होंगे। इसको कहा जाता है महीनता में जाना।
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