*अमूल्य रतन* 166
अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 जनवरी 1970*
शीर्षक: *संपूर्ण विल करने से विल पावर की प्राप्ति*
*संपूर्णता के समीप पहुंचने की परख* यह है कि वह सभी बातों को सभी रीति से, सभी रूपों से परख सकते हैं।
*चित्र – विचित्र – चरित्र*
विचित्र(आत्मा) के साथ चित्र(शरीर) को याद करने से खुद भी चरित्रवान बन जाएंगे। *अगर सिर्फ चित्र और चरित्र को याद करेंगे तो चरित्र की ही याद रहेगी।*
*अव्यक्त पढ़ाई, अव्यक्त स्नेह और सहयोग का एक वर्ष पूरा होने के संदर्भ में*
चेक करो – व्यक्त भाव से अव्यक्त भाव में कहांँ तक आगे बढ़े।
*अव्यक्त स्थिति की प्रैक्टिकल परख*
अलौकिक चलन।
_अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*