*अमूल्य रतन* 167
अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 जनवरी 1970*
शीर्षक: *संपूर्ण विल करने से विल पावर की प्राप्ति*

*अव्यक्त पालना के पहले वर्ष का पेपर*

इस पेपर में निश्चय की परीक्षा हुई।

अगला पेपर – *हर एक के स्नेह, सहयोग और शक्ति का*

जैसे पहले भी निमित्त बना हुआ साकार तन का सहारा था वैसे ही *अब भी ड्रामा में निमित बने हुए साकार में सहारा है।* यह पूरे परिवार का साकार सहारा बहुत श्रेष्ठ है। अव्यक्त में तो साथ है ही। जितना स्नेह होता है उतना सहयोग भी मिलता है। *साकार से स्नेह अर्थात् सारे सिजरे से स्नेह।* साकार अकेला नहीं है प्रजापिता ब्रह्मा तो उनके साथ परिवार है।

दैवी कुल तो भविष्य में है, इस ब्राह्मण कुल का बहुत महत्व है। *जितना जितना ब्राह्मण कुल से स्नेह और समीपता होगी उतना ही दैवी राज्य में समीपता होगी।*

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