*अमूल्य रतन* 174
अव्यक्त मुरली दिनांक: *22 जनवरी 1970*

*अशरीरीपन का अनुभव करने के लिए*

ईज़ी और एलर्ट।

*लास्ट सो फास्ट, फास्ट हो फर्स्ट*

बापदादा बच्चों को कोई नया नहीं देख रहे हैं। क्योंकि जब तीनों ही कालों को जानते हैं तो नया कैसे कहेंगे। *इसलिए सभी अति पुराने हैं। कितने पुराने हैं वह हिसाब नहीं निकाल सकते।*

*बापदादा को समय का बंधन नहीं है*

वतन में समय नहीं होता। घड़ी नहीं होती। लेकिन इस व्यक्त दुनिया में यह सभी बातें देखनी पड़ती है। वहांँ जब सूर्य, चांद ही नहीं तो रात दिन किस हिसाब से हो। इसलिए समय का बंधन नहीं है।

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