*अमूल्य रतन* 20
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969
शीर्षक: *ब्राह्मणों का मुख्य संस्कार सर्वस्व त्यागी*

*संगठन के लिए जरूरी चार बातें*
01. आपस में एक-दूसरे में स्नेह।
02. नजदीक संबंध।
03. सर्विस की जिम्मेवारी।
04. ज्ञान योग की धारणा का सबूत।

एक दो में स्नेही बनने का साधन – *सभी के संकल्प और संस्कार एक होना।*

*सर्वस्व त्यागी*
01. ब्रह्मा का मुख्य संस्कार का सर्वस्व त्यागी।
02. निरंहकारी का मतलब ही है सर्वस्व त्यागी। 03. सर्वस्व त्यागी होने से सर्व गुण आ जाते हैं। 04. अवगुणों को ना देखना यह भी त्याग है।
05. सर्वस्व त्यागी अर्थात देह के भान का भी त्याग।