*अमूल्य रतन* 21
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969

*एक दो में स्नेही बनने का तरीका*

सर्वस्व त्याग से सरलता और सहनशीलता का मुख्य गुण आ जाता है जो दूसरों को भी आकर्षण करता है। अगर सरलता नहीं तो आपस में स्नेह भी नहीं हो सकता।

*सर्वस्य त्यागी की निशानी*

जितना ही नॉलेजफुल होगा उतना ही सरल स्वभाव जिसको कहते हैं बचपन के संस्कार। बुजुर्ग का बुजुर्ग बचपन का बचपन।