*अमूल्य रतन* 216 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 मार्च 1970* *चार बल* जैसे संगठन का बल है, स्नेह का बल भी है, एक दो को सहयोग देने का बल भी है। अभी सिर्फ एक बल चाहिए वह है सहनशीलता का बल। *अगर सहनशीलता का बल हो तो माया कभी वार कर नहीं सकती।* *पांडव भवन का महत्व सारे विश्व में* पांडव भवन का महत्त्व सारे विश्व में होगा। महत्त्व बढ़ाने वाले पांडव सेना और शक्ति सेना हो। *मधुबन निवासी ही मधुबन के महत्व को बढ़ा सकते हैं।* पांडवों के लिए तो प्रसिद्ध है कि वह कभी भी प्रतिज्ञा से हिलते नहीं थे। *पांडव सेना को ऐसा एग्जांपल बनना है जो आप लोगों को देख औरों को भी प्रेरणा मिले कि यह सभी इतने अनेक होते हुए भी एक और एक की ही लग्न में मग्न हैं।* एकरस स्थिति में स्थित है। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |