*अमूल्य रतन* 23
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969
*स्तुति और स्थिति* वर्तमान समय स्थिति के आधार पर स्थिति है। जो कर्म करते हैं; उनके फल की इच्छा व लोभ रहता है। स्तुति नहीं मिलती है तो स्थिति भी नहीं रहती। _निंदा होती है तो निधन के बन जाते हैं अपनी स्टेज छोड़ और धनी को भी भूल जाते हैं।_ *तो यह कभी नहीं सोचना कि हमारी स्तुति हो।* यहांँ ही फल को स्वीकार कर लिया तो भविष्यफल खत्म हो जाएगा।
जितना गुप्त पुरुषार्थ, उतना गुप्त मददगार, उतना ही गुप्त पद बन जाता है। अगर महिमा हो तो भी *महिमा के प्रभाव में खुद प्रभावित नहीं होना है।*