*अमूल्य रतन* 234 *पुरुषार्थियों की लाइन* 01. तीव्र पुरुषार्थी। *सर्वस्व त्यागी* सर्वस्व त्यागी और *सर्व संकल्पों के त्यागी। सिर्फ सर्व संबंधों का त्याग नहीं।* हम विजयी बनें इस संकल्प का भी त्याग। यही संपूर्ण स्थिति है। *स्वयं और संगठन* जो स्वयं की संभाल नहीं कर सकते हैं वह यज्ञ की भी संभाल नहीं कर सकते हैं। *ललकार* ललकार तब होगी जब कोई भी बात को अंगीकार नहीं करेंगे। “मैं यह हूं, मैं सर्विसेबल हूं, मैं महारथी हूं मैं यह करती हूं….”। चाहे स्थूल, चाहे सूक्ष्म। *जब संकल्प में भी अंगीकार व स्वीकार ना हो तब ललकार होगी।* _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |