*अमूल्य रतन* 234
अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 April 1970*

*पुरुषार्थियों की लाइन*

01. तीव्र पुरुषार्थी।
02. केवल पुरुषार्थी।
03. गुप्त पुरुषार्थी।
04. ढीले पुरुषार्थी।

*सर्वस्व त्यागी*

सर्वस्व त्यागी और *सर्व संकल्पों के त्यागी। सिर्फ सर्व संबंधों का त्याग नहीं।* हम विजयी बनें इस संकल्प का भी त्याग। यही संपूर्ण स्थिति है।

*स्वयं और संगठन*

जो स्वयं की संभाल नहीं कर सकते हैं वह यज्ञ की भी संभाल नहीं कर सकते हैं।

*ललकार*

ललकार तब होगी जब कोई भी बात को अंगीकार नहीं करेंगे। “मैं यह हूं, मैं सर्विसेबल हूं, मैं महारथी हूं मैं यह करती हूं….”। चाहे स्थूल, चाहे सूक्ष्म। *जब संकल्प में भी अंगीकार व स्वीकार ना हो तब ललकार होगी।*

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