*अमूल्य रतन* 238
अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970*

*अनेक जन्मों में जो बाप की पूजा की है वह रिटर्न एक जन्म में बापदादा देता है।*

*सर्व के प्यारे बनने की युक्ति*

अगर मानो _किसी आत्मा के प्यारे नहीं बन सकते_ हैं उसका _कारण_ यही होता है कि _उस आत्मा के संस्कार और स्वभाव से न्यारे नहीं बनते।_

अगर सर्व का अति प्यारा बनना है तो सर्व बातों से जितना न्यारा बनेंगे उतना सर्व का प्यारा।

_प्यारे बनने का पुरुषार्थ नहीं, न्यारे बनने का पुरुषार्थ करना है।_

*न्यारा बनने की प्रालब्ध है प्यारा बनना।*

*आकर्षणमूर्त बनने के लिए*

जब अपनी बुद्धि *सर्व आकर्षणों से परे* होगी तो आकर्षण मूर्त बनेंगे। जो आकर्षण मूर्त बनते हैं वहीं *आकारी मूर्त* बनते हैं।

साकार में होते हुए भी सभी को आकारी देखना है।

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*