*अमूल्य रतन* 24
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969
*बीच की अवस्था है बीज*
हर बात के दो तरफ होते हैं तो संगम पर ठहर जजमेंट करनी है। आप लोग *गृहस्थ व्यवहार* में रहते हो और *सर्विस में भी मददगार* हो तो दोनों तरफ *संभालने के लिए बीच में ठहरना पड़ेगा।*
दोनों के बीच की अवस्था में स्थित रहेंगे तो दोनों ठीक होंगे। तुम्हारा खान-पान पहनना आदि सभी बीच का ही है। बीच की अवस्था है बीज। बिंदी जैसे सूक्ष्म होता है वैसे *बीच की स्थिति भी सूक्ष्म है उस पर ठहरने की हिम्मत करना है।*