*अमूल्य रतन* 241
अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970*

*श्रेष्ठ मणी*

अगर श्रेष्ठ काम करेंगे तो नाम पड़ेगा श्रेष्ठ मणी। तब कहेंगे बड़े, बड़े हैं लेकिन छोटे (बाप) समान अल्लाह।

*सरलता और सहनशीलता साथ साथ*

_सहनशीलता के बिना सरलता आ जाती है तो *भोलापन* कहा जाता है।
_सरलता के साथ सहनशीलता_ है तो *शक्ति स्वरूप* कहा जाता है।
जितना ज्वाला उतनी शीतलता। *कर्तव्य ज्वाला का। सूरत शीतलता की।* यह है अंतिम स्वरूप।

*ब्राह्मणों की लेन-देन*

*स्नेह लेना और स्नेह देना।* बापदादा के समीप आने के लिए दिन रात इस लेन-देन में बिताना है।
*यही ब्राह्मणों का कर्तव्य भी है और लक्षण भी है।*

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*