*अमूल्य रतन* 248 *एकता का साधन* एक नामी बन सदैव *हर बात में एक का ही नाम लो* एकनामी और इकोनॉमी वाले बनना है। इकोनॉमी – *संकल्पों की, समय की और ज्ञान के खजाने की* भी इकोनॉमी चाहिए। इकोनॉमी करने से *व्यर्थ संकल्प नहीं चलेंगे और न व्यर्थ संकल्पों का टक्कर* होगा। यह है स्पष्टीकरण। *बाबा बाबा की ढाल* इस ढाल से जो भी विघ्न है वह खत्म हो जाएंगे। *सरल याद* जितना जो स्वयं सरल होंगे उतना याद भी सरल रहती है। *सरालचित्त कौन रह सकेगा* जितना जो हर बात में स्पष्ट होगा अर्थात् साफ होगा उतना सरलचित्त होगा। और दूसरों को भी सरल पुरुषार्थी बना सकेगा। _*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org* |