*अमूल्य रतन* 248
अव्यक्त मुरली दिनांक: *21 May 1970*

*एकता का साधन*

एक नामी बन सदैव *हर बात में एक का ही नाम लो* एकनामी और इकोनॉमी वाले बनना है।

इकोनॉमी – *संकल्पों की, समय की और ज्ञान के खजाने की* भी इकोनॉमी चाहिए।

इकोनॉमी करने से *व्यर्थ संकल्प नहीं चलेंगे और न व्यर्थ संकल्पों का टक्कर* होगा। यह है स्पष्टीकरण।

*बाबा बाबा की ढाल*

इस ढाल से जो भी विघ्न है वह खत्म हो जाएंगे।
माया भाग जाती है। इसलिए सदैव *बाबा बाबा की ढाल अपने साथ रखो।*

*सरल याद*

जितना जो स्वयं सरल होंगे उतना याद भी सरल रहती है।

*सरालचित्त कौन रह सकेगा*

जितना जो हर बात में स्पष्ट होगा अर्थात् साफ होगा उतना सरलचित्त होगा। और दूसरों को भी सरल पुरुषार्थी बना सकेगा।

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*