*अमूल्य रतन* 250
अव्यक्त मुरली दिनांक: *28 May 1970*

*विघ्नों को सहज पार करने के लिए*

जैसे एक आंख में मुक्ति, दूसरी आंख में जीवनमुक्ति रखते हैं। वैसे एक तरफ विनाश के नगाड़े सामने रख और दूसरी तरफ अपने राज्य के नजारे सामने रखो। *नगाड़े भी नजारे भी। विनाश भी स्थापना भी।*

*सफलता के लिए*

सदैव एक दो के स्नेही और सहयोगी बनकर चलना है। *स्नेह और सहयोग दोनों जब आपस में मिलते हैं तो शक्ति की प्राप्ति होती है। जिससे फिर सफलता प्राप्त होती है।*

*मास्टर ब्रह्मा और मास्टर शंकर*

जहां संहार करना है वहां रचना नहीं रच लेना। जहां रचना रचनी है वहां सहार नहीं कर लेना। इसलिए  बुद्धि में ज्ञान चाहिए कि कब मास्टर ब्रह्मा बनना है और कब मास्टर शंकर बनना है।

*ऐसी रचना नहीं रचना जो स्वयं को भी काटें और दूसरों को भी काटें।*

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*