*अमूल्य रतन* 252
अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 May 1970*

*महारथी*

महारथी उसको कहा जाता है *जो सदैव माया पर विजय प्राप्त करें।* माया को सदा के लिए विदाई दे दे।

*विघ्नों को हटाने में सफल बनने के लिए*

नॉलेज के आधार पर विघ्न हटाओ। अगर विघ्न हटते नहीं है तो जरूर शक्ति प्राप्त करने में कमी है। नॉलेज ली है लेकिन उसको समाया नहीं है। *नॉलेज को समाना अर्थात् स्वरूप बनना।*

*तीव्र पुरुषार्थी के लक्षण*

फ़रमानबरदार अर्थात् *जिसका संकल्प भी बगैर फरमान के नहीं चलता।* ऐसे फ़रमानबरदार को ही तीव्र पुरुषार्थी कहा जाता है।

जैसे वहां वल्लभाचारी लोग दूसरों को छूने भी नहीं देते। अगर अछूत छू लेता है तो स्नान किया जाता है। यहां भी *ज्ञान स्नान कर ऐसी शक्ति धारण करो जो अछूत (माया) नजदीक ना आए।*

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