*अमूल्य रतन* 264
अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 June 1970*

*सेंसिबल ब्राह्मण*

जो सेंसिबल होते हैं वह हर कार्य यथार्थ रीति से कर सकते हैं।
देवताओं से भी ज्यादा सेन्सीबल ब्राह्मण हैं।

*सेंसिबल की परख*

सेन्स के साथ इसेंस में टिकना।

*फर्स्ट आने के लिए फास्ट रखो*

जो भी संस्कार व चीज़ पुरुषार्थ में नुकसानकारक हैं इन बातों का फास्ट रखो।

*समेटना और समाना सीखो*

पुराने संस्कारों को समाओ।

_बाप में तो निश्चय है लेकिन अपने में भी निश्चय बुध्दि होकर करो तो फिर विजय हो विजय है।_

_*अव्यक्त मुरलीयों से संबंधित* कोई भी प्रश्न हो तो संपर्क करें-_ *amulyaratan@godlywoodstudio.org*